वृद्धि और विकास का अर्थ,अंतर,प्रभावित करने वाले कारक B.Ed notes
वृद्धि की अवधारणा (Concept of Growth)-
वृद्धि का तात्पर्य ऐसे परिवर्तनों से है जो दिखाई देते हैं तथा जिनकी प्रकृति परिमाणात्मक होती है। जैसे-आकार में परिवर्तन (बालक के वजन, ऊंचाई एवं परिधि) बालक जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है उसकी लंबाई, वजन, परिधि आदि में वृद्धि दिखाई देती है। बालक के शारीरिक अनुपात में भी परिवर्तन (वृद्धि) दिखाई देती है।
विकास की संकल्पना (Concept of Development)-
विकास समस्त जीवों में पायी जाने वाली एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है। मानव में विकास की प्रक्रिया को बालक में जीवनपर्यन्त परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें गर्भधारण से लेकर वैयक्तिक निर्माण तक के सभी पक्षों का परिवर्तन-शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक परिवर्तन, सांवेगिक परिवर्तन आदि सम्मिलित हैं। यह परिवर्तन कभी तीव्र गति से होते हुए दिखाई देते हैं तो कभी मंद गति से होते दिखाई देते हैं। मानव में होने वाले जीवनपर्यन्त परिवर्तनों को जो कभी तीव्र तो कभी मंद गति से होते हैं, उन्हें मानव विकास का नाम दिया गया, जिसमें कुछ वृद्धि के गुण तथा कुछ हास के गुण दिखाई देते हैं। इसे मनोवैज्ञानिकों ने जीवनपर्यन्त विकास Lifespan development कहा।
वृद्धि तथा विकास में अंतर
आनुवांशिकता और पर्यावरण का शिक्षा में महत्व
वृद्धि तथा विकास को प्रभावित करने वाले कारक
वृद्धि तथा विकास को प्रभावित करने वाले अनेक कारक उत्तरदायी होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
1.पोषण
यह वृद्धि तथा विकास का महत्त्वपूर्ण घटक होता है। बालक को विकास के लिए उचित मात्रा में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण इत्यादि की आवश्यकता होती है। हमारे खान-पान में उपयुक्त पोषक तत्त्वों की कमी होगी तो वृद्धि एवं विकास प्रभावित होगा।
2. वृद्धि
यह विकास के अन्य कारकों में सबसे महत्वपूर्ण कारक होता है। बौद्धिक विकास जितना उच्चतर होगा, हमारे अन्दर समझदारी, नैतिकता, भावनात्मकता, तर्कशीलता का विकास उतना ही होगा।
3. वंशानुगत
वंशानुगत स्थिति शारीरिक एवं मानसिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। माता-पिता के गुण एवं अवगुण का प्रभाव बच्चों पर स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है।
4. लिंग
सामान्यतया लड़के एवं लड़कियों में विकास के क्रम में विविधता देखी जाती है। किसी अवस्था में विकास की गति लड़कियों में तीव्र होती है तो किसी अवस्था में लड़कों में।
5. अन्तः स्त्रावी ग्रन्थियाँ
अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों से निकलने वाला हार्मोन शारीरिक विकास को प्रभावित करता है।
6. शारीरिक क्रिया
जीवन को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम बहुत आवश्यक है। यह मानव की आयु बढ़ाता है तथा साथ ही व्यक्ति को सक्रिय बनाए रखता है।
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